Latest news-Shrilanka श्रीलंका में चीन प्रेमी राष्ट्रपति बनने पर,भारत पर क्या असर पड़ेगा Gotabaya Rajapaksa

Latest news-Shrilanka श्रीलंका में चीन प्रेमी राष्ट्रपति बनने पर,भारत पर क्या असर पड़ेगा Gotabaya Rajapaksa

Gotabaya rajapaksa श्रीलंका के नए राष्ट्रपति हैं और 70 साल के हैं देश के आठवें राष्ट्रपति बने हैं श्रीलंका में 16 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुए थे जिसमें Gotabaya ने सजीत प्रेमदास को हराकर राष्ट्रपति का पद पा लिया!

Shrilanka के चुनाव क्यों खास थे

Latest news in hindi-Gotabaya के बड़े भाई महिंद्रा राजपक्षे जो 10 साल श्रीलंका के राष्ट्रपति रह चुके हैं 2015 के चुनाव में unp ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था सिर सेना को समर्थन दिया था लेकिन लेकिन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के ताल में शुरू से ही कमी रही 2018 में शिर सेना ने विक्रम संघे को अचानक ही पद से हटा दिया महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बना दिया विक्रम संघे ने पद छोड़ने को इनकार कर दिया कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और केस जीते भी यह सब जो भी हुआ इसे 2018 का श्रीलंका में संवैधानिक संकट बताई जाती है इस संकट का नतीजा यह हुआ कि unp ने तय कर लिया कि अब से चुनाव अपने यानी अकेले दम पर लड़ेंगे इस बार के चुनाव में सिर सेना की पार्टी श्रीलंका फ़्रीडम पार्टी ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था पार्टी दो गुटों में बट गई थी इसमें से एक ने राजपक्षे और दूसरे ने प्रेमदासा को समर्थन

सवाल है कि जीत किसकी  है Gotabaya या फिर महिंद्रा

पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो यह नहीं महिंद्रा की जीत है महिंद्रा ने चुनाव नहीं लड़ा लेकिन पूरा चुनाव उनके चेहरे को लेकर लड़ा गया चुनावी पोस्टर सोशल मीडिया हर जगह  Gotabayaके साथ  महिंद्रा का चेहरा सामने लाया गया
महिंद्रा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन महिंद्रा ने चुनाव  नहीं लड़ा एक नियम बीच में आ गया 2015 में मैट्रिक वाला शिर सेना ने राष्ट्रपति के तौर पर महिंद्रा को रिप्लेस किया था राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने एक नियम बना दिया कि कोई भी व्यक्ति दो बार श्रीलंका का राष्ट्रपति बन सकता है उसके बाद नहीं महिंद्रा ने तीसरी बार 2015 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था और हार गए थे लेकिन नियम के चलते वह इस बार का चुनाव नहीं लड़ सकते थे लेकिन उन्होंने इस बार का चुनाव अपने भाई Gotabaya से लड़वाया
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2005 से 2015 तक महिंद्रा राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे यह वह दौर था श्रीलंका की पूरी सत्ता राजपक्षे के कंट्रोल में थी राष्ट्रपति ने अपने भाई Gotabay को रक्षा सचिव बनाया उनकी एक और भाई उनके सलाहकार रहे और चौथे भाई चमल पहले कार्यकाल में कैबिनेट कार्यकारिणी के सदस्य रहे! दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट के स्पीकर रहे
महिंद्रा की छवि चीन समर्थक नेताओं में से रही है उनके कार्यकाल में ही चीन का दखल ज्यादा बढ़ा इस दौरान श्रीलंका ने चीन से करीब 7 बिलियन डॉलर का लोन लिया उन्होंने चीन की समरीन के लिए श्रीलंका के बंदरगाह खुलवा दिए इस तरह चीन श्रीलंका के जरिए भारतीय सीमा के करीब पहुंच गया 2015 में जब महिंद्रा राजपक्षे हारे तब भी वह चीन की तारीफ करने से नहीं चुके तब साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सिर सेना के नेतृत्व में सरकार चीन के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रही है
उन्होंने कहा था कि चीन ने हमें जो भी मदद की उसके लिए सरकार को शुक्रगुजार होना चाहिए लकी चीन से मिलने वाले फंड के भ्रष्टाचार के आरोप भी महिंद्रा सरकार में लगे थे इस तरह 3 बड़े आरोपों के कारण महिंद्रा सरकार 2015 में विदा हुई थी
1. भाई भतीजावाद
2. मानव अधिकारों का उल्लंघन
3. भ्रष्टाचार
 हालांकि चुनाव हारने का ठीकरा उन्होंने भारत पर फोड़ा था साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने चीन की जमकर तारीफ की और अपनी हार का दोष भारत को बताते हुए कहां की यह साफ है कि भारत और अमेरिका जैसे देशों ने मुझे मिलकर हर वाया है
भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी RAW ने मुझे हरबाया है

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Gotabaya के बारे में कुछ बातें

Gotabaya सैन्य अधिकारी रह चुके हैं 20 साल तक श्रीलंकाई सेना में रहे श्रीलंका में एक बौद्ध चरमपंथी संगठन एक्टिव है माना जाता है कि Gotabaya इसे पर्दे के पीछे से चलाते हैं यह संगठन ने श्रीलंका में मुसलमानों के खिलाफ कई बार आंदोलन किया है 2014 में मुस्लिम विरोधी दंगा भी इनके नाम में सामने आया था Gotabay की छवि राष्ट्र से प्रेम करने वाली है जिन्होंने सेना में रहकर देश की सेवा की जिसने 3 दशकों से जारी गृह युद्ध खत्म करवा दिया जो नेशनल सिक्योरिटी को लेकर कड़े फैसले लेने में सक्षम है

Gotabaya के राष्ट्रपति बनने पर भारत पर असर क्या होगा

पड़ोसी देश shrilanka में राजनैतिक बदलाव को भारत गौर से देख रहा है एक बात तो यह है कि श्रीलंका हमारा पड़ोसी है और वहां की घटना प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से असर पड़ना पर स्वभाविक है
दूसरी तरफ राजपक्षे परिवार का चीन की तरफ झुकाव महिंद्रा राजपक्षे के राष्ट्रपति बने रहने पर चीन को भारी रियायत मिली और बीजिंग ने श्रीलंका को अरबों डालर का कर्ज दिया जिसने श्रीलंका के बंदरगाह और राजमार्गों को बढ़ाने के लिए तेजी से मदद की साथ ही देश को कर्ज में डुबो दिया इस कर्ज ने श्रीलंका की इकोनॉमी को जोरदार झटका दिया 2017 में जो पैसा श्रीलंका को चीन को लौटाना था वह नहीं लौटा सका जिसके कारण 99 साल की लीज में एक बंदरगाह चीन को देना पड़ा

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